रिपोर्ट: राहुल प्रताप सिंह
रूपौली विधानसभा उपचुनाव मे जैसे – जैसे चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ रही थी वैसे ही रूपौली कि राजनीति समीकरण बदलते जा रही थी. इस विधानसभा सीट पर पुरे बिहार कि नज़र थी क्यूंकि एक तरफ तेजस्वी यादव कि राजनीतिक प्रतिष्ठा तो CM नीतीश कुमार कि 15 साल से इस सीट पर कब्जा. इसी गहमा – गहमी के बीच अपनी जीत से सबकी नज़र अपनी तरफ मोड़ने वाले शंकर सिंह जिन्होंने सिर्फ जीत दर्ज नहीं कि बल्कि दोनों राजनीतज्सूबे के बड़े नेताओं को सियासी पटखनी भी दे दी.
जानिए कौन है शंकर सिंह
शंकर सिंह ने रूपौली विधानसभा में CM नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को राजनीतिक रणनीति को ध्वस्त कर दिया.लगातार तीन चुनाव से इस विधानसभा जीतते आ रही जदयू को सत्ता से उखाड़ फ़ेंक दिया. 2005 में राजनीति प्रवेश करने वाले शंकर सिंह राजनीति में आने से पहले इस इलाके में बाहुबली के तौर पर जाने जाते थे जो आज भी बरकरार है. सबसे पहले 2005 में शंकर सिंह ने लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट रूपौली विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज करके विधानसभा पहुंचे थे. बता दे कि रूपौली के अगड़ी जाती में के बीच उनकी छवि एक रॉबिन हुड की तरह है. शंकर सिंह इस बार के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार थे. उनके सामने प्रतिद्वंन्दी के तौर पर राजद से बीमा भारती तो जदयू से कलाधर मंडल थे.
पप्पू यादव को भी किया परास्त
पप्पू यादव से राजद उम्मीदवार बीमा भारती को समर्थन मिलने में बाद कहा जा रहा था कि बीमा भारती कि जीत लगभग तय है क्यूंकि पप्पू यादव कि सीमांचल क्षेत्र में छवि बाहुबली नेता की है. लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से काफ़ी बड़े अंतर से जीत हासिल किये थे इसलिए माना जा रहा था कि पप्पू यादव जिस उम्मीदवार को अपना समर्थन करेंगे उसके लिए जनता भी खास तौर पर मतदान करेगी लेकिन शंकर सिंह ने अपनी जीत दर्ज करके पप्पू यादव को भी राजनीति में पटखनी दे दिया.