रिपोर्ट: सुजीत पाण्डेय
रुपौली में सात जुलाई को उपचुनाव में शंकर सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता था. वहीं जदयू दूसरे नंबर पर रही और राजद के कैंडिडेट बीमा भारती को तीसरा स्थान मिला था. निर्दलीय शंकर सिंह के जीत के बाद चर्चाओं का दौर गर्म हो गया था कि लेसी सिंह की मदद से शंकर सिंह ने जीत हासिल की है. अब शंकर सिंह ने जदयू का दामन थामा है तो लेसी सिंह की गद्दारी पर मुहर लग गई है.
बता दें जब सीएम नीतीश ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में आने का फैसला लिया तो बीमा भारती ने विद्रोही तेवर दिखाए. बाद में वह जदयू छोड़कर राजद में चली गई. साथ ही विधानसभा सदस्यता भी छोड़ दी. वहीं लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर पूर्णिया से और विधानसभा उपचुनाव में रुपौली में राजद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ी. दोनों चुनावों में हार से बीमा के सियासी भविष्य के अंधकारमय होने के कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसे में अब शंकर सिंह के जदयू के साथ आने से रुपौली में सीएम नीतीश की पार्टी पहले की तरह ही मजबूत होगी. साथ ही रुपौली सहित पूरे पूर्णिया के इलाके में शंकर सिंह के रूप में सीएम नीतीश को एक मजबूत साथी मिल सकता है.
बिहार विधानसभा में मौजूदा समय में जदयू के कुल 47 विधायक हैं. शंकर सिंह जदयू की सदस्यता लेते हैं तो इससे जदयू के विधायक की संख्या में इजाफा होगा. साथ ही अगले विधानसभा चुनाव के पहले शंकर सिंह के साथ जदयू पूरे सीमांचल के इलाके में जदयू को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर सकती है.