आईपीएस अधिकारी आरएस भट्टी बिहार में डीजीपी के पद पर सेवा दे रहे हैं. 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी है आरएस भट्टी. अब वो यहां से जाना चाह रहे हैं. जानकारी के मुताबिक इस बात के लिए आरएस भट्टी को बिहार सरकार से परमीशन मिल गई है, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा हरी झंडी का उन्हें इंतजार है. यही वजह है कि आरएस भट्टी बिहार में अपनी सेवा दे रहे हैं.
अपने कड़क अंदाज के लिए जाने जाते है
आरएस भट्टी कड़क अधिकारी के तौर पर जाने जाते रहे हैं. इसलिए एस के सिंघल के रिटायरमेंट के बाद नीतीश कुमार की सरकार ने आर एस भट्टी को इस पद के लिए उपयुक्त माना और इन्हें केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाकर डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होता है और आरएस भट्टी का रिटायरमेंट टाइम सितंबर 2025 है.
भट्टी खुद बिहार छोड़ कर जाना चाहते हैं.
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बिहार पुलिस के डीजीपी आरएस भट्टी को लेकर कहा है कि बिहार सरकार भट्टी को हटाने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन के बीच कुछ भी ठीक नहीं है। भट्टी को डीजीपी पद से या तो हटाया जा रहा है या फिर वो बिहार छोड़ कर जाना चाहते हैं। पप्पू यादव ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आजतक आरएस भट्टी को काम करने की छूट नहीं दी है।
वो दवाब में काम करते हैं। अब भट्टी खुद बिहार छोड़ कर जाना चाहते हैं। आखिरी क्यों वो बिहार से जाना चाहते हैं, ये बहुत बड़ा सवाल है।
टफ टास्क के लिए जाने जाते है
आरएस भट्टी टफ टास्क के लिए जाने जाते रहे हैं. डीजीपी
ते ही आरएस भट्टी ने पुलिस की मीटिंग में कहा था कि अपराधियों को दौड़ाना सीखिए नहीं तो अपराधी आपको दौड़ा कर परेशान करते रहेंगे. भट्टी की ये बात काफी चर्चित हुई थी. लेकिन उनके नाम के अनुरूप बिहार में अपराध पर लगाम लग नहीं सका है.
भट्टी वापस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आना चाह रहे है.
जानकारी के मुताबिक आरएस भट्टी सितंबर 2025 तक डीजीपी बने रह सकते हैं, लेकिन समय से पहले वो केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अर्जी डाल चुके हैं. आरएस भट्टी वापस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आना चाह रहे है. बिहार में डीजीपी पद पर काबिज होने से पहले वो बीएसएफ में एडीजी पद पर तैनात थे. 1990 बैच के आरएस भट्टी को केंद्र से हरी झंडी का इंतजार है. इसलिए वो बिहार में कार्य कर रहे हैं. आरएस भट्टी साल 2005 में शहाबुद्दीन को दिल्ली से गिरफ्तार कर वापस लाने के बाद काफी चर्चा में आए थे.