रिपोर्ट: सुजीत पाण्डेय
कल झारखंड की राजधानी रांची में बिहार की दो पार्टियों ने सियासी भूचाल ला दिया. केरल की लेबर पार्टी का जहां जीतन राम मांझी की पार्टी हम में विलय हो गया, वहीं झारखंड के बड़े नेता सरयू राय ने अपनी पार्टी का विलय बिहार के मुख्यमंत्री की पार्टी जेडीयू में कर लिया. सरयू राय के इस कदम से बीजेपी चिंतित हो गई होगी, वहीं जेडीयू अब झारखंड में मजबूत दिख रही है.
सरयू राय के जेडीयू में शामिल होने से पार्टी अब बीजेपी के साथ सौदेबाजी के लिए तैयार है. जदयू अब झारखंड में कड़ी सौदेबाजी कर सकती है. भारतीय जनतंत्र पार्टी के प्रमुख और निर्दलीय विधायक सरयू राय के शामिल होने से पार्टी को झारखंड में अपना खोया हुआ गौरव वापस पाने और यहां अपना आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी. जदयू ने पहले अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति में झारखंड में 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था. सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी से विधायक हैं. उन्होंने 2019 में मौजूदा सीएम रघुवर दास को उनके यहां से हराया था. जेडीयू केंद्र और बिहार में एनडीए का हिस्सा है. अब जेडीयू भाजपा पर जमशेदपुर पूर्वी सीट छोड़ने के लिए दबाव बनाने की तैयारी में है, क्योंकि यह अब पार्टी की सीटिंग सीट है और इस सीट पर उसका दावा स्वाभाविक है.
सरयू राय एक ऐसा नेता जिसका भाजपा पार्टी ने 2019 चुनाव में टिकट काट दिया तो सीधे सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ गए और उन्हें चुनाव में हरा दिया. तय है कि ये शख्स कोई मामूली नहीं होगा। कभी लालू-नीतीश और सुशील मोदी के दोस्त रहे सरयू राय भी जेपी आंदोलन की उपज रहे हैं। इमरजेंसी में इन लोगों ने साथ ही जेल यात्रा भी की है। बिहार के बंटवारे के बाद सरयू राय ने झारखंड को ही अपना कर्मभूमि बनाया।
बता दें कि कुछ दिन पहले सरयू राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी, तभी से उनके जेडीयू में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे.