रिपोर्ट- सुजीत पाण्डेय
बिहार के बाहुबली अनपढ़ या पढ़े-लिखे नहीं बल्कि पीएचडी किए हुए हैं. यही नहीं अहिंसा परमो धर्म बताने वाले भगवान महावीर पर पीएचडी भी की है। जब सुनील पांडे अपहरण के मामले में जेल में थे, तब उन्होंने पीएचडी की थी. 2008 में उन्होंने वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा से भगवान महावीर की अहिंसा विषय पर पीएचडी की।
सुनील बेंगलुरु में इंजीनियरिंग करने गए। बताते हैं कि वहां उनका किसी से झगड़ा हो गया और झगड़े में सुनील ने उस लड़के को चाकू मार दिया। इसके बाद सुनील इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ गांव आ गए और धीरे-धीरे बन बाहुबली गए.
सुनील की जिंदगी कभी जेल में तो कभी फरारी में या जमानत पर गुजरी है। डॉ. चंद्रा की किडनैपिंग मामले में सुनील पांडेय जब जेल में थे, तब उन्होंने पीएचडी की। उन्होंने 2008 में आरा की वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी से भगवान महावीर की अहिंसा पर पीएचडी की थी. सुनील पाण्डेय रिसर्च आरा के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के मुखिया रामजी राय की देख-रेख में हुई है. जेल में सजा काटने के दौरान ही उन्होंने पीएचडी का इंटरव्यू भी दिया है, जिसके लिए वो हथियारबंद पुलिसवालों के साथ इंटरव्यू टीम के सामने एक घंटे तक बैठे रहे थे और जिसके लिए उन्हें अदालत ने विशेष आदेश दिया था. वो कहते भी थे.
”मैं नेता हूं, जिससे उम्मीद की जाती है कि वो समाज का नेतृत्व करे. मुझे शिक्षित होना ही होगा. मैं जेल में हूं तो क्या हुआ, हमारे बहुत से नेताओं ने जेल में रहते हुए ही अच्छी किताबें लिखी हैं.”
सुनील पांडेय की ये बात सच है कि हमारे देश में लिखी गई बहुत सी अच्छी किताबें जेल में लिखी गई हैं. लेकिन सुनील पांडेय ये भूल गए कि जेल जाने वाले उन लोगों ने किसी का अपहरण नहीं किया था, उनलोगों पर किसी की हत्या, लूट या अपहरण करने का आरोप नहीं था, उनलोगों पर अपने देश के खिलाफ कोई काम करने का आरोप नहीं था और सबसे बड़ी बात, किताब लिखने वालों के घरों पर देश की कोई जांच एजेंसी एके 47 जैसे खतरनाक हथियार की तलाश में छापेमारी नहीं की थी.
2010 में सुनील पांडे के ऊपर हत्या, हत्या की कोशिश जैसे 23 मामले दर्ज थे. लेकिन, 2020 मे उन्होंने जो एफिडेविट दाखिल किया है, उसमें उनके ऊपर 5 मामले ही दर्ज थे.