रिपोर्ट- सुजीत पाण्डेय
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने झारखण्ड में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह आसान कर दी है. भाजपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को राज्य का चुनाव प्रभारी बनाया था जबकि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को सह प्रभारी बनाया था. हिमंता सह प्रभारी बनने के साथ ऑपरेशन लोटस को सफल बनाने में जुट गए थे. अब ऑपरेशन लोटस सफल होते हुए दिख रहा है. झामुमो में भारी बगावत होने लगी है. पूर्व मुख्यमंत्री तक ने बगावत कर दी है.
पूर्व में कांग्रेसी रहे हिमंता को अब भाजपा में हिंदुत्व का हार्डलाइनर भी माना जाता है. झारखण्ड में हिंदुत्व काम नहीं कर सका लेकिन हिमंता की कूटनीति के आगे सत्ता धारी पार्टी बिखरने की कगार पर पहुंच गयी है.
पूर्व में हिमंता ने कई मंचो से पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की तारीफ की थी. हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि जब चंपई सोरेन मुख्यमंत्री थे तो वो उन्हें एक्स पर फॉलो करते थे. चंपई सोरेन किसी मामले की जानकारी मिलने पर तुरंत काम करते थे. ऐसे मुख्यमंत्री का पॉलिटिकल मर्डर किया गया. अच्छा काम करने के बाद भी उन्हें हटाया गया.
चंपई सोरेन अगर भाजपा में जाते हैं तो सरायकेला ही नहीं पूरे कोल्हान में भाजपा का कद और बढ़ेगा और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर भाजपा के लिए और आसान हो जाएगा। इससे पहले शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा का दामन थाम कर सबको चौंका दिया था। वहीं, कांग्रेस की तत्कालीन सांसद गीता कोड़ा ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था. ये सभी लोग हिमंता के प्रभारी बनने के बाद ही भाजपा में शामिल हुए हैं. इसलिए लोग कह रहे है हिमंता ने हेमंत का खेल बिगाड़ दिया है.