भाजपा नेता ने कहा अग्निवीर का विरोध करने वाले राष्ट्रद्रोही है…

रिपोर्ट- डेस्क

पूर्व विधान पार्षद व भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. रणबीर नंदन ने अग्निवीर योजना के खिलाफ बोलने वालों को करारा जवाब दिया है. प्रो. नंदन ने कहा कि देश में ऐसी हालत बना दी गई थी कि युवाओं के पास नौकरी का कोई साधन ही नहीं था. तमाम कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को सरकारों ने डिग्री देने की दुकान बना दिया, लेकिन मोदी सरकार ने युवाओं को सबल, सार्थक बनाने की शुरुआत की, तो उन तथाकथित नेताओं का दर्द उखड़ गया जो राजनीति में अपने बाप-दादा के नाम के कारण ही टिके हैं. इन नेताओं की एक ही कोशिश रही है कि युवाओं को बरगलाते हुए बेरोजगार और कौशल विहीन रखा जाए. जिससे वे अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में इस्तेमाल कर सकें. अग्निवीर योजना उन युवाओं को सबल बना रही है जिनमें कुछ कर गुजरने की तमन्ना है.

प्रो. नंदन ने कहा कि वैसे तो हर युवा को सबल होना चाहिए और प्रशिक्षित होना चाहिए. भारत में इसे अनिवार्य बनाना पड़ेगा. लेकिन अग्निवीर योजना हजारों युवाओं को सार्थक भविष्य की राह दिखाने वाली है। इसमें हजारों लोग भर्ती होंगे. 17 से 23 वर्ष की आयु के इन युवाओं को 30 हजार से 40 हजार रुपए प्रतिमाह मिलेंगे.

चार सालों तक कड़े अनुशासन में रहने वाले युवा अगर फौज छोड़ देते हैं, तब भी उनके पास अवसरों की कमी नहीं है। अग्निवीर योजना में शामिल युवाओं को चार सालों में 11.72 लाख रुपए मिलेंगे। साथ 11.71 लाख रुपए का रिटायरमेंट बेनेफिट भी मिलेगा। यानि फौज छोड़ने वाले हर युवा को 23.43 लाख रुपए चार सालों में मिलेंगे। कम उम्र में इस रकम का उपयोग कर कोई भी युवा सफल उद्यमी बन सकता है।

प्रो. नंदन ने कहा कि उद्यमी नहीं बनकर अगर कोई युवा नौकरी चाहता है तो उसके लिए भी अवसरों की कमी नहीं है। क्योंकि उत्तम आर्मी ट्रेनिंग, अनुशासित व्यक्तित्व और परिपक्व होकर निकले ये युवा किसी भी क्षेत्र में अच्छा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, सीआरपीएफ, आरपीएफ, जीआरपी, सीआईएसएफ, बीएसएफ, कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज, वन विभाग, पीएसयू, भारतीय रेल, बैंक, एयरपोर्ट, बंदरगाह, ट्रैफिक पुलिस, टास्क फोर्स, कॉरपोरेट कंपनियां आदि इन्हें नियुक्त करने के लिए इन्हें अधिक तरजीह देंगी।

प्रो. नंदन ने कहा कि अग्निवीर योजना भारत को ऐसा सक्षम राष्ट्र बनाने वाली योजना है, जो देश के युवाओं को सार्थक भविष्य की ओर ले जा रही है। लेकिन अपने बाप-दादा के नाम के सहारे राजनीति में अपनी महत्ता बनाए रखने की कोशिश करने वाले नेताओं ने अग्निवीर योजना का विरोध कर राष्ट्रद्रोह किया है.