रिपोर्ट- सुजीत पाण्डेय
प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जीतने के लिए रेवड़ी पॉलिटिक्स कर रहे थे, अब रेवड़ी पॉलिटिक्स छोड़कर डर्टी पॉलिटिक्स करने लगे हैं. प्रशांत किशोर वही कार्य कर रहे हैं जो काम बिहार में कांग्रेस और राजद ने किया था. पीके किसी जाति या समुदाय की बातें नहीं कर रहे हैं सिर्फ मुसलमान- मुसलमान कर रहे हैं. जब बिहार में पहले से आधारित डर्टी पॉलिटिक्स करना है तो फिर आप अलग कैसे?
प्रशांत किशोर ने बापू सभागार में आयोजित हुई ‘राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी’ कार्यक्रम में मुसलमानों का रहनुमा होने का दावा करने वाले राजद और तेजस्वी पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि बिहार में आपकी आबादी के अनुसार आपके 40 विधायक होने चाहिए, आबादी के अनुसार आपके 1650 सरपंच और मुखिया होने चाहिए, आबादी के अनुसार 27,500 वार्ड सदस्य होने चाहिए पर आज केवल 11 हजार से भी कम वार्ड सदस्य मुस्लिम है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आज मुस्लिम समाज में राजनीतिक जागरूकता खत्म हो गई है. उसका सबसे बड़ा कारण राजद है. राजद ने आपको बीजेपी का डर दिखाकर आपको राजनीतिक बंधुआ मज़दूर बना दिया है. उन्होंने केवल आपका वोट लिया है पर न ही कभी आपके विकास की चिंता की है और न ही आपको आपकी जनसँख्या के अनुसार राजनीतिक हिस्सेदारी दी.
प्रशांत किशोर की इन बातों के बाद अब सवाल उठता है की प्रशांत किशोर मुस्लिम को राजनीतीक भागीदारी तो दे देंगे जैसे पूर्व अन्य पार्टियां देती आ रही थीं लेकिन इनके विकास पर कोई चर्चा नहीं करता है. पीके विदेश से पढ़कर आए हैं फिर भी ये तेजस्वी के आंखो से अल्पसंख्यक को देखते हैं. पीके अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ मुस्लिम जानते हैं. प्रशांत किशोर जब ये कहते हैं कि अल्पसंख्यको की जितनी भागीदारी उतनी हिस्सेदारी मिलेगी. तब लगता है कि अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल अन्य धर्म को भी सम्मान मिलेगा. पीके की पूरी राजनीती बिहार की पक्ष-विपक्ष की पार्टियों से मिलती जुलती ही है. बिहार मे गुड नहीं डर्टी पॉलिटिक्स हो रही है.