रिपोर्ट – राहुल प्रताप सिंह
चार दिन तक चलने वाले लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व की आज से शुरुआत हो रही है. छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है. हालांकि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ महापर्व प्रमुखता के साथ मनाया जाता है. इस महापर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विधान है. छठ का व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. तीन दिवसीय इस महापर्व में 36 घंटे लंबा निर्जला व्रत किया जाता है।
बिहार से हुई थी महापर्व छठ पूजा की शुरुआत
पुराने कथन के अनुसार ”दुनियाभर में छठ का पर्व मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत बिहार से हुई थी. माना जाता है कि बिहार के देव सूर्य मंदिर से छठ की शुरुआत की गई थी. बिहार में यह महापर्व बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है. बिहार वालों की इस आस्था को देखकर बाहर के लोगों ने भी इसे करना शुरू कर दिया.”
नहाय-खाय का परंपरा
दिवाली के चौथे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय की परंपरा होती है। इस दिन कुछ खास रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। छठ व्रती स्नान कर शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण कर अपना व्रत शुरू करते हैं। नहाय-खाय में व्रती चावल के साथ लौकी की सब्जी, छोले और मूली आदि का सेवन करते हैं। उपवास करने वाले व्रती के भोजन करने के बाद ही परिवार के बाकी सदस्य इस महाप्रसाद का सेवन करते हैं।
36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं
छठ महापर्व के दौरान व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास रखते हैं. साथ ही, छठ पर्व के दौरान सोने के लिए बिस्तर भी छोड़ना पड़ता है और व्रती महिलाओं को अलग कमरे में जमीन पर कंबल बिछाकर सोना पड़ता है. छठ पूजा का महावपर्व सबसे कठिन होता है, क्योंकि ठंड के दिनों में अर्घ देने तक व्रती नदी या तालाब मे स्नान कर सूर्य भगवान के सामने हाथ जोड़कर पानी में खड़ी रहती हैं.