अब बिहार में दूषित खाद्य पदार्थों की अत्याधुनिक तरीके से जांच होगी. खाद्य पदार्थों में किसी भी तरह की मिलावट का पता लगाने में बिहार सक्षम होगा. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने पटना के अगमकुआं में बिहार के पहले माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला एवं उच्चस्तरीय उपकरण अनुभाग की शुरुआत की. इस केंद्र की शुरुआत के बाद अब बिहार खाद्य पदार्थों की नवीनतम और अत्याधुनिक तरीके से जांच करने में आत्मनिर्भर होगा.
इसकी शुरुआत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इस दिन को बिहार के लिए एक विशेष दिन बताते हुए कहा कि मेरी ये आकांक्षा और कोशिश थी जो आज सफल हुई है. उन्होंने कहा कि इस लैब में 6 करोड़ की लागत से तीन मशीने लगाई गई हैं जिनके अगले पांच वर्षों में रख रखाव और मानव बल पर 5 करोड़ खर्च होगा. मंत्री ने कहा कि लगभग 19 करोड़ की लागत से शुरू हुई इस योजना में साढ़े चार करोड़ की लागत से माइक्रोबायोलॉजी लैब की स्थापना की गई है जिसके कार्यान्वयन और रख रखाव पर भी इतनी ही राशि खर्च होगी.
मंगल पांडेय ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध भोजन जरूरी है, और आज की व्यस्ततम जीवन मे हम अक्सर बाहर भोजन करते है। बाहर मिलने वाला भोजन गुणवत्तापूर्ण हो ये जरूरी है और इसके लिए उस भोजन की बेहतर तरीके से जांच भी जरूरी है. ये जांच अब इस केंद्र पर एडवांस तरीके से हो पायेगा. आज जो भी बीमारी होती है, वो खान-पान से इसके लिए शुद्ध भोजन और आहार जरूरी है. इस लैब में भोजन, मांस-मछली और बोतल बंद पानी की जांच तो होगी ही, यहां फसल में डाले जाने वाले कीटनाशकों की भी जांच होगी जिसका फायदा कृषि विभाग को भी मिलेगा.
स्वास्थ्य मंत्री ने प्रयोगशाला का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सहित सीएम नीतीश कुमार का आभार जताते हुए कहा कि अब हम राज्य के लोगों को शुद्ध भोजन कराने, उसकी जांच कराने में और अधिक सक्षम हो गए हैं.
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय के अलावा स्वास्थ्य विभाग के सचिव, श्री संजय कुमार सिंह, एफ़एसएसआई के निदेशक डॉ0 अजय प्रकाश गुप्ता, डॉ0 विनोद कुमार सिंह, अधीक्षक,पीएमसीएच, डॉ उषा कुमारी, प्राचार्य एनएमसीएच सहित पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू भी मौजूद रही.
रिपोर्ट: लोकल डेस्क