पटना के पुस्तक मेले में इस पुस्तक की हो रही है रिकॉर्ड बिक्री, भूमि सर्वेक्षण में है उपयोगी ….

रिपोर्ट – राहुल प्रताप सिंह

पटना के गाँधी मैदान में आयोजित 40वां पुस्तक मेले में इस बार एक खास पुस्तक की डिमांड पाठकों में काफ़ी बढ़ गयी है. भूमि राजस्व विभाग के स्टॉल पर इस पुस्तक की खरीदारी के लिए मेला में भारी भीड़ उमड़ रही है। पुस्तक 50 रुपए की है। यह पुस्तक आज के दिनों में सभी लोगों को कैथी लिपि सिखाने के लिए जरूरत बन गई है।

5 दिनों में करीब 60 हजार से अधिक रुपए की हो चुकी है बिक्री

विभाग के स्टॉल पर नक्शा के साथ कैथी लिपि की पुस्तक को भी पिछले 5 दिनों से उपलब्ध कराया गया है। इस 5 दिनों में करीब 60 हजार से अधिक रुपए की 10 हजार से अधिक पुस्तकों की खरीदारी की जा चुकी है।

जमीन सर्वेक्षण में कैथी लिपि भाषा काफ़ी उपयोगी है

बिहार में 20 अगस्त से जारी जमीन सर्वेक्षण में पाया गया कि कैथी लिपि में लिखे गए पुरानी जमीन के दस्तावेजों को पढ़ने और समझने में काफी परेशानी हो रही थी.कुछ जिलों के पुराने खतियान कैथी लिपि में हैं। सर्वे कर्मियों सहित आमलोगों को भी इसे समझने में परेशानी होती थी।

राजस्व विभाग के वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं किताब

बता दें, कैथी लिपि की वजह से समस्या सिर्फ जमीन मालिक को ही नहीं हो रहा रही थी. बल्कि सर्वे खतियान के कैथी लिपि में लिखे रहने के कारण विशेष सर्वेक्षण प्रक्रिया में आम रैयतों के साथ-साथ सर्वे कर्मियों को भी परेशानी हो रही थी. लेकिन, अब कैथी लिपि से हिंदी में इस किताब से काफी मदद मिलेगी और पुस्तक विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है, जहां से इसे डाउनलोड किया जा सकता है.

क्या है कैथी लिपि भाषा ?

कैथी लिपि सदियों से बिहार में जन-जन की लिपि रही। लोगों ने कैथी लिपि का प्रयोग डायरी, पत्र, लोकगीत, जमीनी दस्तावेज़ आदि लिखने के लिए किया। देश की स्वतंत्रता के करीब डेढ़ दशक तक जमीनी कागज़ात में लेखन के लिए कैथी लिपि लोगों की पहली पसंद रही। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश समेत उत्तरी भारत के कई भागों में सदियों से कैथी लिपि का प्रयोग होता रहा। धीरे धीरे देवनागरी लिपि का प्रभाव बढ़ता गया और देश की आज़ादी के बाद सरकारी संस्थानों में कैथी लिपि का अंत हो गया।