तेजप्रताप को फ्लावर समझा था फायर है

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बिहार की राजनीती में पिछले तीन दशक से वंशवाद और परिवारवाद चरम सीमा पर है. परिवारवाद की सबसे अव्वल पार्टी राजद के लिए आज का फैसला कलेजे पर पत्थर रखने जैसा है. लालू यादव ने राजद से अपने बड़े बेटा तेजप्रताप को बाहर का रास्ता दिखा दिया यही नहीं लालू ने परिवार से भी बेदखल कर दिया. अब सवाल उठता है कि तेजप्रताप यादव को राजद से निष्कासित होने पर कितना तेजस्वी और तेजप्रताप यादव को नुकसान झेलना पड़ेगा.

बिहार की सबसे पावरफुल फैमिली विधानसभा चुनाव के पहले उलझ गई है. बुजुर्ग और बीमार लालू यादव बड़े बेटे की वजह से चौतरफा हमला झेल रहे हैं. चुनावी साल में बड़े बेटे की गलती छोटे बेटे के सीएम बनने में रोड़ा नहीं बने इसलिए लालू ने बड़ा फैसला लेते हुए तेजप्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया है. इन सबके पीछे बड़ी वजह ये है कि बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को एक लड़की से प्यार हो गया। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर अपने प्रेम का इजहार किया। अनुष्का यादव के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक किया। तेज प्रताप ने बताया कि वे दोनों पिछले 12 सालों से एक दूसरे को जानते हैं और प्यार करते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि वे काफी समय से यह बात बताना चाहते थे, लेकिन अब हिम्मत करके बता रहे हैं। इस खबर के बाद लालू यादव ने तेजप्रताप को खुद से और पार्टी से अलग कर दिया है अब तेजप्रताप यादव राजद के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

याद दिला दें कि तेजप्रताप यादव लोकसभा चुनाव 2019 में भले ही आरजेडी के साथ थे लेकिन आरजेडी के कुछ बड़े नेताओं से तेजप्रताप की नाराजगी आखिरकार नुकसानदेह साबित हुई. तेजप्रताप यादव शिवहर और जहानाबाद से अपने नाम दिए हुए उम्मीदवार उतारना चाहते थे. लेकिन उनके दिए हुए नामों को आरजेडी नेताओं ने अनदेखा कर दिया था वहीं, तेजप्रताप ने इन दोनों सीटों पर अपने निर्दलीय उम्मीदवार खड़े कर दिए. साथ ही उनके लिए चुनाव प्रचार में भी उतरे थे.

अब ऐसे में माना जा रहा था कि जहानाबाद में आरजेडी उम्मीदवार की हार तेजप्रताप यादव की वजह से हुई है. वहीं, मतों के आंकड़े भी यही कह रहे थे कि अगर तेजप्रताप यादव अपने उम्मीदवार नहीं उतारते तो शायद जहानाबाद में आरजेडी अपना परचम लहराने में कामयाब हो सकती थी.

जहानाबाद में तेजप्रताप यादव के उम्मीदवार चंद्र प्रकाश को 7714 मत मिले. वहीं, आरजेडी उम्मीदवार सुरेंद्र प्रसाद यादव को 3,32,116 मत मिले. जबकि जेडीयू उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद को 3,33,191 मत मिले. यानी की सुरेंद्र यादव महज 1075 वोटों से चंदेश्वर प्रसाद से हार गए. लेकिन अगर चंद्र प्रकाश के 7714 वोट इसमें जोड़ दिए जाएं तो आरजेडी शायद यहां से आसानी से जीत सकती थी.

ये तो बात 2019 लोकसभा चुनाव की हुई जब तेजप्रताप यादव थोड़े दिन के लिए बागी हुए थे। तब राजद लोकसभा चुनाव में शून्य पर आउट हुई थी. अब ऑफिसयल तेजप्रताप यादव को पार्टी से बाहर कर दिया गया है ऐसे में तेजप्रताप यादव निश्चित एक पार्टी बनाकर राजद को चुनाव में नुकसान पहुंचाएंगे.

तेजप्रताप यादव अपनी पार्टी बनाकर तेजस्वी के बराबर कद तो नहीं बना सकेंगे. लेकिन राजद जिस विधानसभा से राजद कार्यकर्त्ता को टिकट नहीं देगी उसको तेजप्रताप यादव टिकट देकर राजद के वोट बैंक में इतनी तो जरूर सेंधमारी कर देंगे की राजद प्रत्याशी की हार हो सकती है. खासकर तेजप्रताप, यादव बहुल विधानसभा का चयन करेंगे. जानकारों के अनुसार तेजप्रताप यादव 25 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं जिसमें वैशाली, गोपालगंज, समस्तीपुर जिले की अधिक विधानसभा है.

अगर इन 25 विधानसभा में जीत-हार की बात है तो खुद तेजप्रताप यादव अपनी सीट नहीं बचा पायेंगे. लेकिन 25 में से 10 सीटों पर राजद को जबरदस्त नुकसान पहुंचा देंगे. ऐसे में तेजस्वी को मुख्यमंत्री नहीं बनने देने के लिए ये दस सीट काफी होगी. इससे पहले 2020 विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने राजद की 17 सीटों पर इसी तरह का खेला किया था. उसी 17 सीटों की हार से तेजस्वी मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे.

तेजस्वी के लिए तेजप्रताप यादव को पार्टी और परिवार से हटाने का फैसला आसान हो सकता है लेकिन आगे का राजनीतिक सफर आसान नहीं होगा. तेजप्रताप यादव की तीखी बयानबाजी से तेजस्वी काफी परेशान दिखेंगे. मीडिया और विपक्ष को मसाला मिलेगा लेकिन तेजस्वी को दर्द झेलना पड़ेगा.

बहरहाल राजनीतिक जानकारों के अनुसार पूरी कार्रवाई चुनाव को लेकर की गई है. चुनाव में विपक्षी दल इसको खास मुद्दा बनाकर तेजस्वी को नहीं घेरे इसलिए तेजस्वी के दबाव में लालू ने ये बड़ा फैसला लिया है. अनुष्का से संबंध के बारे मे पूरा परिवार जानता था. बस परिवार के लोगों की उम्मीद थी ये चीजे तेजप्रताप यादव और ऐश्वर्या राय के बीच तलाक होने के बाद और विधानसभा चुनाव के बाद सामने आनी चाहिए थी. अभी ना तेजप्रताप यादव का तलाक हुआ है और ना ही चुनाव संपन्न हुआ है तो ऐसे में तेजप्रताप यादव ने परिवार का भरोसा तोड़ा है इसलिए ये कार्रवाई की गई है. उम्मीद है चुनाव के बाद तेजप्रताप यादव की वापसी होगी अगर तेजस्वी चुनाव हारते है तब..