बिहार में आम कैदी को पैरोल मिलना भगवान से मिलने के बराबर माना जाता है. किसी भी कैदी को बहुत मजबूत कारण के बाद ही पैरोल मिलती है। लेकिन बिहार सरकार इस मामले में बाहुबलियों पर काफी मेहरबान है. नाबालिग लड़की से रेप के दोषी पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को पैरोल पर रिहा किया जा रहा है। इसे पूर्व बाहुबली अनंत सिंह को पैरोल पर छोड़ा गया था।
नीतीश कुमार की सुशासन कार्यशैली लगातार बदलती हुई दिख रही है. कभी अपराधियों को जेल की हवा खिलानेवाले नीतीश कुमार अब नाबालिग से दुराचार के दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे राजद के पूर्व विधायक को पेरौल पर जेल से आजाद किया जा रहा है. राजबल्लभ यादव को 15 दिनों की पैरोल मिल गई है. जेल प्रशासन ने उन्हें अपनी संपत्ति के बंटवारे के साथ-साथ मां और खुद के इलाज के लिए पैरोल पर रिहा किया है.
2016 में राजबल्लभ पर 15 साल की एक लड़की ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. उस वक्त भी बिहार में जेडीयू-राजद की साझा सरकार थी. ऐसे में राजबल्लभ के खिलाफ मामला काफी दिनों तक ठंढ़े बस्ते में पड़ा रहा. बाद में काफी विवाद के बाद राजबल्लभ पर कार्रवाई हुई. हालांकि उस दौरान भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पायी थी. राजबल्लभ ने खुद सरेंडर किया था. इसके बाद कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनायी थी.
इससे पहले भी राजबल्लभ यादव को उनकी मां के इलाज के लिए 6 अगस्त 2023 को 15 दिनों की पैरोल दी गई थी. अब बिहार सरकार ने मां के इलाज के लिए 15 दिनों की पैरोल दी है. हालाँकि, पैरोल देने के साथ-साथ कई प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। राजबल्लभ यादव पटना और नवादा जिले में स्थित अपने घर में रहेंगे. इस दौरान वह अपनी मां का इलाज करा सकते है, अपना इलाज करा सकते है और अपनी संपत्ति का बंटवारा कर सकते है. इसके अलावा अगर राजबल्लभ यादव कोई राजनीतिक या सामाजिक कार्य करते हैं तो उनका पैरोल रद्द कर दिया जायेगा।
राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी अभी नवादा से राजद की विधायक है. करीब दो साल पहले अपना चेकअप कराने के नाम पर राजबल्लभ यादव जेल से पटना के आईजीआईएमएस आया था. वहां उसने अपनी विधायक पत्नी के साथ बकायदा जनता दरबार लगा लिया था. ऐसे मे पैरोल सशर्त कितना पालन होगा देखने की बात होगी.
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राजद और लालू परिवार के रिश्ते राजबल्लभ यादव और उनके परिवार के साथ खराब हो गए हैं. राजबल्लभ यादव राजद के पूर्व विधायक हैं। वह लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में राजबल्लभ यादव के भाई ने राजद से बगावत कर दी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. राजबल्लभ यादव के भाई के चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इस त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी ने जीत हासिल की. नवादा में राजद की हार का ठीकरा राजबल्लभ यादव और उनके परिवार पर फोड़ा गया. तेजस्वी यादव ने परोक्ष रूप से राजबल्लभ पर इशारा करते हुए चुनावी रैली के दौरान और चुनाव के बाद भी एक्शन लेने की बात कही थी.
राजनीतिक पंडित राजबल्लभ यादव के पैरोल को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ रहे हैं. राजबल्लभ यादव ने आगे राजद में वापसी पर जोर देगा. इसके अलावा कोई भी पार्टी राजबल्लभ के परिवार को टिकट नहीं देगी. अगर राजद तैयार नहीं हुई तो राजबल्लभ निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी में जाने की तैयारी करेंगे. इस बार राजबल्लभ यादव अपनी पत्नी और भाई दोनों को चुनाव मैदान में उतारने के मूड में हैं.