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पटना जंक्शन पर गया-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस में महिला बोगी में बैठे पुरुष यात्रियों के साथ आरपीएफ जवान अमर्यादित तरीके से पेश आ रहे थे. ज्यादातर जवान अपने यूनिफॉर्म में नहीं थे. सादी वर्दी में होने के कारण इनकी पहचान भी उजागर नहीं होती। ये यात्रियों पर आसानी से कहर बरपाकर निकल जाते. इसी ट्रेन से एक पत्रकार भी यात्रा कर रहे थे उन्होंने इस गैरकानूनी कार्य को अपने कैमरे में कैद कर लिया. उसके बाद आरपीएफ जवान गुंडई पर उतर आए. उन्हें हिरासत में ले लिया। पत्रकार को भी उन यात्रियों के साथ आरपीएफ पोस्ट ले आया गया। मानसिक तौर पर जो प्रताड़ना दी जा सकती थी, उसे दी गयी।
अन्य पत्रकारों को जब जानकारी मिली तो उन्होंने इसकी सूचना आरपीएफ कमांडेंट दानापुर को दी, तब एकबारगी वह भी मानने को तैयार नहीं थे कि उनके जवान ने ऐसा किया होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह भी जरूर महिला कोच में सफर कर रहा होगा। ऐसे उन्होंने सफाई दी कि यदि उसने अपना परिचय दिया होगा और आई कार्ड दिखाया होगा तब तो उसे हिरासत में लेने का कोई औचित्य नहीं है। महोदय जानते तो सब हैं, क्योंकि यह जवान अपने मातहत की सह पर ही गुंडई करता है। बाद में जब आरपीएफ पटना पोस्ट के इंस्पेक्टर को इसकी जानकारी मिली, तब साथी को रिहा किया गया।
दरअसल आरपीएफ जवान सादी वर्दी में वास्तविक गुंडों के सामान लगते है. ये भिखारी की तरह हाथ फैला कर वसूली करते दिख जाते हैं। ट्रेनों में फेरी करके बेचना वाला वेंडर हो या सब्जी और फल लाने वाले छोटे कारोबारी। उनके सामने ये 10-20 रुपये के लिए हर दिन भिखमंगई करते दिख जाते हैं। सामान्य यात्रियों के सामने ये खूब शेखी बघारते हैं।