शुक्रवार को हुई मुख्यमंत्री नीतीश की अध्यक्षता में बिहार कैबिनेट में सरकार ने 69 एजेंडे पर मुहर लगाई है जिसमें दो महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. पहला बिहार के गया जिलें कों अब गया जी के नाम से जाना जाएगा दूसरा ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए बिहार के जवानों कों के परिवारों को सरकार 50 लाख की सम्मान राशि दी जाएगी. जानिए विस्तार से
नीतीश सरकार 20 वर्षो के इतिहास में पहली बार किसी शहर का नाम बदला गया है
जानकारी के लिए बता दें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 20 वर्षो के इतिहास में पहली बार किसी शहर के नाम ने बदलाव किया गया है. बिहार के गया जिले का नाम बदलकर गया जी किया गया है. बता दें की गया नगर निगम द्वारा पहले ही शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे चुकी है. जिसके बाद मंजूरी के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया था.
राक्षस के नाम पर पड़ा था शहर का नाम
पौराणिक कथन के अनुसार गया जी नाम के पीछे की कहानी गयासुर नामक एक राक्षस से जुड़ी है, जिसे भगवान विष्णु ने मार दिया था. गयासुर की तपस्या के कारण उसे वरदान मिला था कि जो भी उसे देखेगा या उसका स्पर्श करेगा उसे यमलोग नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि वह सीधे विष्णुलोक जाएगा. इस वरदान के कारण यमराज परेशान हो गए और उन्होंने ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी से उपाय करने को कहा. तब देवताओं ने गयासुर की पीठ पर यज्ञ किया और विष्णु जी ने अपने पैर से उसे स्थिर किया था.
भगवान विष्णु के वरदान से शहर का नाम पड़ा था
मान्यता के अनुसार गयासुर के इस समर्पण से विष्णु भगवान ने उसे वरदान दिया कि अब से यह स्थान गया के नाम से जाना जाएगा. साथ ही यहां पर पिंडदान और श्राद्ध करने वाले को पुण्य और पिंडदान प्राप्त करने वाले को मुक्ति मिल जाएगी. यही कारण है जो गया को मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है. आदरपूर्वक गया के नाम के बाद जी लगाते हैं.
गया को मोक्ष की भूमि और विष्णु की नगरी माना जाता है
गया को मोक्ष की भूमि और विष्णु की नगरी माना जाता है। यहां का महत्व मुख्य रूप से पिंड दान और श्राद्ध कर्म से जुड़ा है। मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनका उद्धार होता है. गया में फल्गु नदी के किनारे पिंडदान किया जाता है, जो हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है. गया, बौद्ध धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बोधगया के निकट स्थित है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था