कई राजनीतिक धुरंधरो के राजनीतिक उठापटक का गवाह रहा पालीगंज विधानसभा पाटलिपुत्र लोकसभा के छः विधानसभा के सीटों में से एक है. इस सीट पर दो दिग्गजों नेताओं राम लखन सिंह यादव चन्द्रदेव प्रसाद वर्मा की राजनीतिक उठापटक का गवाह भी रहा है.
पालीगंज विधानसभा का गठन 1952 में हुआ था
आजादी के बाद 1952 में पालीगंज विधानसभा सीट अस्तित्व में आया सबसे पहला आम चुनाव 1952 में हुआ था. 1952 से लेकर 2020 तक कुल 19 बार विधानसभा चुनाव और उपचुनाव हुए जिसमें प्रमुख दल की बात करें तों छः बार कांग्रेस, तीन बार सोशलिस्ट पार्टी, दो बार भाजपा, दो बार भाकपा और जनता दल, एक बार राजद और निर्दलीय ने कब्जा जमाया है.
जातीय समीकरण
पालीगंज विधानसभा के जातीय समीकरण की बात करें तों इस सीट पर यहां भूमिहार, मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या लगभग बराबर है 2020 चुनाव के आंकरे के अनुसार सबका 20-20 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इस विधानसभा में अबतक कुल 19 बार चुनाव हुए जिसमें 7 बार यादव और 7 कुशवाहा जाती के उम्मीदवार जीते है. जबकि 4 बार भूमिहार जीते.जानकारी के लिए बता दें 1980 में इस विधानसभा में सबसे ज्यादा मतदान हुआ था जो 81.57 प्रतिशत था.
सबसे पहले कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी
बता दें की पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में सबसे पहला चुनाव 1952 में हुआ था जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी राम लखन सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी. पिछले 2020 चुनाव की बात करें तों यहां से भाकपा माले के उम्मीदवार संदीप सौरभ ने जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर जदयू प्रत्याशी जय वर्धन सिंह यादव रहे.
1952 से अबतक इनके सिर पर बंधा है जीत का सेहरा
1952- राम लखन सिंह यादव, ( कांग्रेस )
1957 – चन्द्रदेव प्रसाद वर्मा, ( सोशलिस्ट पार्टी )
1962-राम लखन सिंह यादव, ( कांग्रेस )
1967- चंद्रदेव प्रसाद वर्मा, ( सोशलिस्ट पार्टी )
1969 -चंद्रदेव प्रसाद वर्मा, ( सोशलिस्ट पार्टी )
1972- कन्हाई सीन संगठन, ( कांग्रेस )
1977 कन्हाई सीन निर्दलीय।
1980- राम लखन सिंह यादव, ( कांग्रेस )
1985- राम लखन सिंह यादव, ( कांग्रेस )
1990- राम लखन सिंह यादव, ( कांग्रेस )
1991- चंदू प्रसाद वर्मा, ( जनता दल )
1995- चना देव प्रसाद वर्मा, ( जनता दल )
1996- जनार्दन शर्मा, ( भाजपा )
2000- वीराना सिंह यादव, ( राजद )
2005- नंद कुमार नंदा, ( भाकपा माले )
2010- डॉ उषा विद्यार्थी, ( भाजपा )
2015- जयवर्धन यादव ( राजद )
2020 – संदीप सौरभ ( भाकपा माले )
बता दें की पालीगंज विधानसभा हॉट सीट कही जाती है इस विधानसभा में दो दिग्गज नेताओं की राजनीतिक उठापटक की चर्चा गांव कस्बे में होते रहती है यहां कांग्रेस से रामलखन सिंह यादव और सोशलिस्ट पार्टी के नेता रहे चन्द्रदेव प्रसाद वर्मा के बिच मुकाबला दिलचस्प होते रहा है दोनों ने पालीगंज विधानसभा सीट से पांच – पांच चुनाव भी जीता और एक दूसरे को बारी – बारी से पटखनी भी देते रहे.
संभावित उम्मीदवार
पालीगंज विधानसभा के संभावित उम्मीदवार की बात करें यहां कई चेहरे है जिनकी सक्रियता 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए क्षेत्र में देखी जा रही है भाकपा माले से वर्तमान विधायक संदीप सौरभ एक बार फिर पालीगंज से महागठबंधन से उम्मीदवार हो सकते है वही NDA गठबंधन से बात करें तों कांग्रेस से राजनीतिक पारी शुरू करके. 2015 में राजद से पालीगंज के विधायक रहे बाद में जदयू में शामिल होकर 2020 विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर थे जय वर्धन सिंह यादव उर्फ़ बच्चा यादव यादव भी मैदान में है. जय वर्धन सिंह यादव कांग्रेस के दिग्गज नेता पालीगंज विधानसभा के 5 बार के विधायक रहे राम लखन सिंह यादव के पोते और पूर्व सांसद प्रकाश चंद्र के बेटे है. यहां से जदयू नेत्री पूर्व जिलापरिषद, महिला अयोग्य की सदस्य स्वेता विश्वास भी लगातार जनसम्पर्क कर रही है. जदयू नेता नंद किशोर कुशवाहा, अशोक वर्मा, रामजनम शर्मा, पूर्व विधायिका उषा विद्यार्थी फ़िलहाल यह सीट महागठबंधन के कब्जे में है और प्रत्याशियों की लम्बी सूची है. फिलहाल अभी किसी दल ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.
कुल मतदाता 2020 विधानसभा चुनाव के अनुसार
कुल मतदाता : 2.78 लाख
पुरुष मतदाता : 1.43 लाख (51.42%)
महिला मतदाता : 1.34 लाख (48.16%)
ट्रांसजेंडर मतदाता : 11 (0.002%)
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है पालीगंज
पालीगंज क्षेत्र सोन नदी के किनारे स्थित है कहा जाता है पालीगंज नाम के पीछे प्राचीन पाली भाषा से लिया गया है, जो बौद्ध ग्रंथों से जुड़ी है. पालीगंज के भारतपुरा गांव में गुलाम वंश, तुगलक, बाबर और अकबर काल के विभिन्न राजवंशों के 1,300 से अधिक प्राचीन सिक्कों की खोज इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है. पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि पालीगंज मध्यकालीन युग में एक समृद्ध सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था.