विपक्ष पिछले कुछ सालों से जाति जनगणना की मांग उठा रहा था. अब केंद्र सरकार ने जनगणना में जाति पूछने का फैसला किया है. आपको बता दें कि अगली जनगणना में जाति जनगणना को शामिल किया जाएगा. सरकार ने फैसला लिया है कि जनगणना में ही जातियों की गणना की जाएगी. स्वतंत्रता के बाद जनगणना में जाति पूछना बंद कर दिया गया था.
जाती जनगणना क्या है ?
विपक्ष के नेता राहुल गांधी हर सभा में कहते रहे हैं कि उनकी सरकार बनी तो जाति जनगणना कराएंगे और आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को पार कर जाएंगे.
जानकारी के लिए बता दें जातिगत जनगणना का मतलब है जब देश में जनगणना की जाए तो इस दौरान लोगों से उनकी जाति भी पूछी जाए। सीधे शब्दों में कहें तो जाति के आधार पर लोगों की गणना करना ही जातीय जनगणना है। राज्य की बात करें तो बिहार में जातिगत जनगणना कराई गई है।
पिछले बार कब हुई थी देश में जाती जनगणना
बता दें की ब्रिटिश हुकूमत के वक्त देश में पहली बार 1872 में जनगणना हुई और तब से हर 10 साल में जनगणना होती है. हालांकि, 2021 में कोरोना महामारी की वजह से यह सिलसिला टूट गया और 2025 की शुरुआत में जनगणना कराए जाने की तैयारियां थी. 1931 में देश में आखिरी बार जातिगत जनगणना हुई थी.