एमयू मे हिन्दी, मगही और संगीत के शोधार्थियों का प्रवेशन कार्यक्रम हुआ

रिपोर्ट- लोकल डेस्क

अनुसंधान सिर्फ़ कुछ पुस्तकों को पढ़कर नहीं होता, उसके लिए एक सच्ची शोध-दृष्टि की आवश्यकता होती है. समय और अनुशासन का अनुपालन प्रत्येक विद्यार्थी का अनिवार्य गुण है. उक्त बातें मगध विश्वविद्यालय के हिन्दी और मगही विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजेश कुमार राय ने कहीं. मौका था हिंदी, मगही और संगीत के शोधार्थियों के इंडक्शन प्रोग्राम का.

वरिष्ठ आचार्य प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि शोधार्थी से प्रोफ़ेसर बनने तक का रास्ता कठिन है। उसके लिए कड़ी मेहनत और लगन की ज़रूरत है. डॉ. आनंद कुमार सिंह ने शोधार्थियों को प्रेरणा देते हुए बताया कि ‘जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठि’ की तर्ज पर गहरे डूबने से ही अच्छा शोध संभव है. डॉ. राकेश कुमार रंजन ने कहा कि सिर्फ प्रवेश ले लेना डॉक्टरेट उपाधि की गारंटी नहीं है, उसे पाने के लिए कठिन परिश्रम और स्वाध्याय आवश्यक है। डॉ. अनुज कुमार तरुण ने मौलिक शोध के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया.

डॉ. परम प्रकाश राय ने कोर्सवर्क के पाठ्यक्रम की रूपरेखा और शोध-प्रक्रिया पर विस्तार से अपनी बात रखी. भूगोल विभाग के डॉ. पिंटू कुमार ने शोध-प्रविधि और विषय चयन के बारे में महत्त्वपूर्ण संकेत किया. डॉ. किरण कुमारी ने मगही में बोलते हुए लोक-साहित्य की महत्ता के विषय मे बताया. पूर्व संकायाध्यक्ष और विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार ने शोधार्थियों को आशीर्वाद देते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया. शोधार्थी प्रियंका ने मंच-संचालन किया.

इस मौके पर डॉ. कुणाल किशोर, कस्तूरी, नीतीश, मुन्ना, शम्भू, बंटी, श्रीकांत, नीलम आदि अनेक शोधार्थियों और छात्र शामिल हुए.