रिपोर्ट – राहुल प्रताप सिंह
2025 बिहार विधानसभा चुनाव के पहले एक बार फिर से द प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार के राजनीति में सक्रिय हो गयी है उन्होंने बिहार की जनता के नाम एक चिट्ठी लिखी. ज्ञात हो क़ी ये वही पुष्पम प्रिया चौधरी है जो सोशल मीडिया और अखबार के माध्यम से रातों – रात चर्चित हो गयी थी. बिहार के राजनीति में कुछ समय तक काफ़ी सक्रिय रही पुष्पम प्रिया चौधरी एक बार फिर से अपने बिहार के जनता के नाम एक पत्र लिखा है.
क्या लिखा है पत्र में ?
राजनीति का स्तर बहुत गिरा तो था ही पर पिछले चार साल में बिहार की राजनीति का स्तर और गिरता जा रहा। प्लुरल्स पार्टी का नाम प्लुरल्स इसलिए नहीं रखा क्योंकि विरोधियों के शब्दों में “मैं विदेशी हूँ, और मुझे बिहार के बारे में मालूम नहीं”। मुझसे ज़्यादा बिहार को कोई नहीं जानता इसलिए मात्र 24 घंटों में आप मुझे जान गए थे। 8 मार्च 2020 को जब आपने मेरा नाम पहली बार सुना था तब भी विरोधियों के शब्दों में उस “करोड़ों के विज्ञापन” का ध्येय मात्र एक ही था. शहरों एवं दूर गाँव में बैठे आप तक, देश-विदेश में काम कर रहे अपने बिहारी भाई-बहनों तक, अपने हाथ से लिखी अपनी बात पहुंचाना. आज उस दिन को चार साल हुए. राजनीति में यह एक छोटा समय है. इन चार सालों में मेरे जीवन में और आपके जीवन में भी कई बदलाव आए होंगे लेकिन दो चीजें जो नहीं बदली वो हैं बिहार की आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था और इस व्यवस्था को बदलने का मेरा संकल्प.
विरासत क़ी राजनीति करने का धंधा नहीं करते
पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे लिखा कि इस देश की राजनीति के गटर में घुसने के लिए व्यक्तिगत जीवन की तिलांजलि. औरों की तरह बिहार और राजनीति मेरे लिए कोई बैक-अप प्लान बी न था और न है. बनना कुछ और हो, नहीं बन पाए तो चलो बाप की राजनीति वाला धंधा कर लेते हैं या कहीं से टिकट ख़रीद के फिट हो जाते हैं. या किसी पार्टी में पट नहीं रहा ‘गोटी सेट नहीं हो पा रहा’ तो चलो बिहार के लोगों को गांधी और अंबेडकर का पोस्टर लगा कर झांसा देते हैं, बिहार के लोग तो “झाँसे में आते ही हैं”. मेरे लिए राजनीति झाँसा देने वाला जाल नहीं, आदर्शों के लिए है. बिहार की जनता मेरे लिए “झाँसे” में आने वाले लोग नहीं हैं. ये वो लोग हैं जिनको मैंने अपनी आँखों से छोटी-छोटी चीजों के लिए जूझते देखा है, बिना किसी वजह के दूसरे राज्य में डंडे से मार खाते देखा है.
मेरे लिए बिहार सर्वोपरि है – पुष्पम प्रिया
पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे लिखा कि बिहार मेरे लिए सर्वोपरि है एक बिहारी से भी ज़्यादा बड़ा, ज़्यादा ऊँचा क्योंकि हर बिहारी बिहार है. वहीं सीएम पद के लिए उन्होंने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री का पद भगवान का पद नहीं लगता, मात्र एक पद है, हां एक शक्तिशाली पद है जिसपर इन्स्टिट्यूशन बनाने के लिए बैठना ज़रूरी है. और उस पद पर उसे ही बैठना चाहिए जिसे इन्स्टिट्यूशन बदलने आता हो, उसकी समझ हो, पढ़ाई हो.
पार्टी के नेताओं के लिए खास संदेश
पार्टी के नेताओं के लिए लिखा आगे लिखती है क़ी जनता आपसे बेहतर राजनीति की अपेक्षा करती है, ये वो लोग हैं जो चुप हैं पर देख रहे हैं. ऊँची आवाज़ वाले लोगों के शोर में जो आवाज़ दब जाती है आप उनकी आवाज़ हैं. उनके बीच में रहिए जिनके पास बिहार में क्या हो रहा ये पता लगाने की भी फ़ुरसत नहीं, जो पूरा घर-बार पीछे छोड़ आज भी मज़दूरी करने जा रहे, जिनके पास आज भी एक बित्ता ज़मीन नहीं, जो अच्छी इलाज के अभाव में वक्त से पहले गुजर जा रहे, जिनके बच्चे शौक़ से नहीं बल्कि अभाव की वजह से नहीं पढ़ पा रहे. उनके लिए, उनके प्रतिनिधित्व के लिए, उनकी सरकार बनाने के लिए, उनका मुख्यमंत्री बनने के लिए – हमेशा याद रखिए- मैं ज़िंदा हूँ.