रेप पीड़िता की मौत से आहत बीजेपी प्रवक्ता ने दिया इस्तीफा, कहा- मानवीय गरिमा को नहीं भूल सकते

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. बिहार बीजेपी के प्रवक्ता असितनाथ तिवारी ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. बीजेपी प्रवक्ता असितनाथ तिवारी मीडिया पैनलिस्ट थे. न्यूज चैनलों पर बिहार बीजेपी का पक्ष रखते थे. इन दिनों वह बीजेपी का पक्ष रखते हुए अपनी भाषा शैली को लेकर काफी मशहूर हो गए थे. पीएमसीएच में रेप पीड़िता की मौत और राज्य में बढ़ती आपराधिक घटनाओं से आहत होकर बीजेपी प्रवक्ता ने इस्तीफा दिया है. असितनाथ तिवारी ने फेसबुक के जरिए अपने इस्तीफे का ऐलान किया है.

असितनाथ तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है…इस्तीफा पत्र

असितनाथ तिवारी कांग्रेस में भी रह चुके हैं

लोकसभा चुनाव से पहले असितनाथ तिवारी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. उस वक्त बताया जा रहा था कि पश्चिमी चंपारण सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज असितनाथ तिवारी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.

कौन है असितनाथ तिवारी

असितनाथ तिवारी बिहार के बेतिया के रहने वाले है. उन्होंने पश्चिम चंपारण में पढ़ाई की है और पत्रकारिता की शुरुआत भी वहीं से की। उन्होंने दैनिक जागरण की मुजफ्फरपुर यूनिट से सम्बद्ध होकर रिपोर्टिंग की शुरुआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।टीवी पत्रकारिता में असिता नाथ ने महुआ टीवी से बतौर एंकर शुरुआत की और यह सफर मौर्या टीवी, जी न्यूज हिंदी, के न्यूज इंडिया और समाचार प्लस आदि तक जारी रहा। पत्रकारिता के साथ साथ कविता और लेखन में भी असित की विशेष रुचि है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले राजनीती मे एंट्री लिया था. कांग्रेस ने उन्हें प्रवक्ता नियुक्त किया था.

असितनाथ तिवारी इस पार्टी में शामिल हो सकते हैं

असितनाथ तिवारी ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उनकी अगली राजनीतिक मंजिल क्या होगी. संभावना जताई जा रही है कि वह जनसुराज में शामिल हो सकते हैं. वहीं कई लोगों का मानना ​​है कि कांग्रेस अपने पैरों पर खड़ी है और रेप पीड़िता की मौत को लेकर आवाज उठाने में कांग्रेस सबसे मुखर रही है, तो असितनाथ तिवारी पुराने घर मे वापस लौट सकते है.

बीजेपी को नुकसान नहीं

हालांकि, बीजेपी के मुताबिक असितनाथ तिवारी के इस्तीफा से बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन मीडिया पैनलिस्ट में उनके जैसा पक्ष रखने वाला कोई नहीं है. चुनावी साल में बीजेपी के लिए इसकी भरपाई करना मुश्किल होगा.