रिपोर्ट- सुजीत पाण्डेय
एससी-एसटी आरक्षण के भीतर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रार बढ़ती ही जा रही है. यहां तक कि केंद्र में सरकार चला रहा एनडीए भी इस फैसले पर दो फाड़ नजर आ रहा है. एक तरफ जहां लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान इस फैसले के खिलाफ हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री और हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने फैसले का स्वागत किया है. अब मांझी की पार्टी के कार्यकर्त्ता चिराग पर हमलावर हो गए हैं.
हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ई.नंदलाल मांझी ने कहा मलाई खाने वाले नहीं चाहते हैं कि अन्य गरीब परिवार को इसका लाभ मिले। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वह स्वार्थी और महादलित विरोधी है समाज उनको कभी भी माफ़ नहीं करेगा. भीमराव अंबेडकर ने ही आरक्षण पर प्रत्येक 10 वर्ष पर समीक्षा की बात कही थी. कांशीराम ने आबादी के हिसाब से आरक्षण की बात कही थी. कोटा में कोटा का विरोध ढोंगी अंबेडकर वादी लोग कर रहे है.
आपको बता दे पासवान और मांझी की लड़ाई का सूत्र बिहार की जनसंख्या में छिपा हुआ है. बिहार सरकार ने पिछले साल 2 अक्तूबर को जाति सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए थे. इसके मुताबिक पासवान की जाति दुसाध की आबादी बिहार में 5.31 फीसदी है. वहीं मांझी की मुसहर जाति की आबादी 3.08 फीसदी है.अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नौकरियों में दुसाध काफी आगे हैं. वहीं मुसहर इस मामले में पिछड़े हुए हैं.इन आंकड़ों के आधार पर मांझी को लगता है कि अगर एससी-एसटी में सब कैटेगरी बनाई जाती है तो उनके समुदाय को फायदा हो सकता है. इसलिए वो चिराग पासवान का विरोध कर रहे है.