राजद का आरोप- सरकार कर रही रघुवंश बाबू की उपेक्षा

रिपोर्ट- डेस्क

राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने राज्य एवं केन्द्र सरकार पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह की उपेक्षा करने और उनके निधन के बाद किए गए घोषणा को कूड़ेदान में डाल देने का आरोप लगाया है.

राजद प्रवक्ता ने कहा कि उनके निधन के बाद मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गई थी कि रघुवंश बाबू द्वारा की गई मांगों को पुरा करने हेतु राज्य सरकार शीघ्र पहल करेगी. प्रधानमंत्री द्वारा भी कहा गया कि रघुवंश बाबू की माँगों को पुरा करने के लिए केन्द्र की सरकार राज्य सरकार को हर प्रकार की मदद करने के लिए तैयार है. लेकिन चार साल हो गये अबतक उनकी एक भी मांग को पुरा नहीं किया गया है. उनकी मांगों को लेकर सरकार द्वारा अबतक कोई पहल नहीं किया जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण और अपम्मानजनक है.

डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने मृत्यु पूर्व मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में माँग की थी कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष 15 अगस्त और 26‌ जनवरी को वैशाली गढ पर सरकारी आयोजन किया जाये और महामहिम राज्यपाल महोदय अथवा मुख्यमंत्री द्वारा झंडोतोलन किया जाये जैसे एकीकृत बिहार में पटना और राँची में झंडोतोलन की परम्परा थी. मुख्यमंत्री को लिखे एक दूसरे पत्र में उन्होंने भगवान बुद्ध का भिक्षा-पात्र अफगानिस्तान से वैशाली मंगवाने की माँग की थी.
मुख्यमंत्री को लिखे एक अन्य पत्र में रघुवंश बाबू ने मनरेगा से आम किसानों को जोड़ने की माँग की थी. जिससे मजदूरों को काम भी मिलेगा और किसानों को मजदूर की उपलब्धता के साथ हीं आर्थिक बोझ भी हल्का होगा.

सिंचाई मंत्री को सम्बोधित पत्र में रघुवंश बाबू द्वारा समाजवादी विचारक और साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी के घर की सुरक्षा के लिए मुजफ्फरपुर के कटौंझा धार को दोनों तटबंधों के बीच लाने, मुजफ्फरपुर जिला के साहेबगंज, मोतीपुर और वैशाली में गंडक नहर पर छोटा पुल बनाने, वैशाली जिला के महनार प्रखंड में मलमला नहर के दाहिने बाँध का चैड़ीकरण कर सड़क बनाने और शाहपुर मे नहर में स्लूइस गेट लगवाने का आग्रह किया गया था.

राजद प्रवक्ता ने कहा कि जिन तत्वों के खिलाफ रघुवंश बाबू आजीवन‌ लड़ते रहे. जिते जी तो वे तत्व उनका सामना नहीं कर सके पर उनके अचेत होने के बाद उन्हीं तत्वों ने सुनियोजित साजिश के तहत एक काल्पनिक कथानक के आधार पर उनके पुण्यात्मा के साथ अक्षम्य अपराध किया था साथ हीं उनके लिखे पत्रों की गलत व्याख्या कर राजनीतिक लाभ लेने का घटिया प्रयास किया था.