विष्णुपद कॉरिडोर बनने से पहले पंडो को लगा बड़ा झटका, छीना गया हक

रिपोर्ट- सुजीत पाण्डेय

बिहार के गया जिला में स्थित विष्णुपद मंदिर में पर्यटन कॉरिडोर बनाने की घोषणा मोदी सरकार ने की है. इस घोषणा पर जमीन पर उतरने से पहले विष्णुपद क्षेत्र के पंडा समुदाय को बड़ा झटका लगा है. युगो युगो से मिल रहे हक को सुप्रीम कोर्ट ने छीन लिया है जिससे पंडा समुदाय में काफी निराशा और नाराजगी है.

विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया हैं. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि विष्णुपद मंदिर गयापाल पंडों की निजी संपत्ति नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे वेदी मानने से इनकार कर दिया. इस फैसले के बाद बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड मंदिर का प्रबंधन अपने हाथों में लेगा. बता दें वर्ष 2021 में हाईकोर्ट ने फैसले पर मुहर लगाते हुए 27 जनवरी 2021 को मंदिर प्रबंधन को लेकर सात सदस्यीय एक कमिटी भी गठित की गई थी। उसके बाद पंड़ा समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया था. जिसमें उन्होंने कई बड़े ऐलान किए हैं. बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी घोषणा में कहा था कि उत्तर प्रदेश के काशी कॉरिडोर की तर्ज पर बिहार में महाबोधि और विष्णुपद कॉरि़डोर का विकास किया जाएगा.

बता दें कि 18 वीं शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई ने मंदिर का जीर्णोद्वार कराया था, लेकिन यहां भगवान विष्णु का चरण सतयुग काल से ही है। पितृपक्ष के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। इसे धर्मशिला के नाम से भी जाना जाता है.ऐसी भी मान्यता है कि पितरों के तर्पण के पश्चात इस मंदिर में भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से समस्त दुखों का नाश होता है एवं पूर्वज पुण्यलोक को प्राप्त करते हैं.