रिपोर्ट: सुजीत पाण्डेय
गयाजी बिहार का एक धार्मिक स्थल है जहां आज भी हजारों साल पुरानी परंपरा जीवित है। सत्ययुग में भगवान राम और उनके भाई, द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलभद्र के साथ गुरुकुल में शिक्षा ली थी। शिक्षा से पहले उनका उपनयन संस्कार भी कराया गया। आज भी पंडित रामाचार्य जी ने गयाजी में इस परंपरा को जीवित रखा है।
भारतवर्ष में गुरु शिष्य की सनातन वैदिक परंपरा अनादि काल से निरंतर चली आ रही है, इसी गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करने के अंतर्गत आज आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा श्री हनुमान मंदिर, फल्गु नदी बायपास पुल के निकट मंत्रालय वैदिक पाठशाला के शिष्यों, आचार्यों, विद्यार्थियों द्वारा गुरु पूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया, स्वामी रामाचार्य गुरु महाराज के तत्वावधान मे गुरु दीक्षा कार्यक्रम एवं वटुक ब्रह्मचारियों का यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया.
स्वामी रामाचार्य गुरु महाराज के द्वारा गया तीर्थ क्षेत्र में विष्णुपद के निकट पिछले चार दशकों से भी ऊपर वैदिक गुरुकुल का संचालन कर विद्यार्थियों को वैदिक सनातन परंपरा का अध्ययन कराया जा रहा है, इस पाठशाला में कोई जाती, धर्म अन्य का भेदभाव नहीं है, अनेकों विद्यार्थी देश विदेशों से यहां अध्ययन करने आते है.
गुरु पूर्णिमा जिसे की व्यास पूर्णिमा भी कहते है, महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर ही हुआ था, वेद पुराण , ज्ञान विज्ञान से हम सबका परिचय कराने वाले गुरु वेदव्यास जी के जन्मोत्सव को हम गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।
गुरु महाराज ने अपने आशीर्वाद रूपी अनुग्रह संभाषण में संयम , सदाचार, एवं चारित्रिक बल पर विशेष रूप से ध्यान देने हेतु उपदेश किया। आज देश एवं राज्य के अलग अलग क्षेत्रों से आए हजारों की संख्या में शिष्यगण उपस्थित रहे, सभी ने शंख चक्र तप्तमुद्रा धारण कर गुरु दीक्षा, अर्चन, पूजन, हवन इत्यादि किया.