रिपोर्ट- सुजीत पाण्डेय
झारखंड में लोकसभा चुनाव में बीजेपी जिस तरह से बैटिंग कर रही है, उससे लग रहा है कि वह विधानसभा चुनाव में सीरीज जीत जाएगी. साफ है कि पहले जेएमएम नेता लोबिन हेम्ब्रम, फिर सीता सोरेन और अब चंपई सोरेन की नाराजगी का फायदा बीजेपी को मिल रहा है.
भारतीय जनता पार्टी ने एक तीर से दो निशाना लगाने का काम किया है. विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बीजेपी ने पहली चाल ट्रायबल वोटबैंक को साधने के लिए हेमंत सोरेन के जेल जाने के कारण मिल रही सहानुभूति का तोड़ के रुप में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटने और उनकी नाराजगी जनता तक ले जाने के रुप में लाया है. वहीं दूसरा निशाना जेएमएम कमजोर करने का है. पहले लोबिन हेम्ब्रम, फिर सीता सोरेन और अब चंपाई सोरेन की नाराजगी को हवा देने में बीजेपी जरूर सफल रही है. इससे जेएमएम को लगातार झटका लगा है.
बिहार में मांझी प्रकरण की तरह बीजेपी दूर से थर्ड अंपायर की भूमिका निभा रही थी. इसी तरह झारखंड में भी बीजेपी थर्ड अंपायर की भूमिका में है. बीजेपी तभी फैसला लेगी जब हेमंत और चंपई पूरी तरह से सरेंडर कर देंगे. फिलहाल बीजेपी चंपई सोरेन को क्रीज पर उतारकर विधानसभा सीरीज जीतने पर फोकस कर रही है.
जाहिर तौर पर चंपाई सोरेन के बाहर निकलने से जेएमएम को कोल्हान में भारी क्षति होने की संभावना है. चंपाई सोरेन की छवि साफ सुथरी रही है और ट्रायबल के बीच खास पकड़ माना जाता है. शायद यही वजह है कि उन्हें कोल्हान का टाइगर कहा जाता है.