बिहार ने बनाया अपना सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर ” ” परम बुद्ध “

रिपोर्ट – राहुल प्रताप सिंह 

बिहार ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. पटना में मौजूद सीडैक (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग) ने राज्य का पहला सुपर कंप्यूटर ‘परम बुद्ध’ बनाया है। क्या खास है इस कंप्यूटर में क्यों सुपर कंप्यूटर कहा जाता है जानिए.

क्या है परम बुद्ध सुपर कम्प्यूटर  

परम बुद्ध’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसजें (AI) की शक्ति से लैस बेहद आधुनिक कम्प्यूटर है. इस एआई आधारित सुपर कम्प्यूटर बनाने के बाद बिहार देश के उन विकसित राज्यों और पटना उन विकसित शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां इस तरह के कम्प्यूटर मौजूद हैं. अब यह पूरी तरह से काम करने के लिए तैयार है. इसे जल्द ही आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया जाएगा.

किन क्षेत्रों में मदद मिलेगा इस कंप्यूटर से 

सरकारी क्षेत्रों में लोगों को जल्दी सुविधाएं उपलब्ध कराने, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, स्मार्ट पुलिसिंग और साइबर क्राइम को रोकने में भी यह मददगार होगा।

थ्री-डी ग्राफिक मैप की मदद से ट्रैफिक रूट होगा तैयार 

थ्री-डी ग्राफिक मैप की मदद से ट्रैफिक रूट प्लान तैयार करने जैसे जटिल कामों को भी यह आसानी से अंजाम देगा।

जमीन से संबंधित समस्याओं को भी चुटकियों में दूर कर देगा दूर 

सुपर कंप्यूटर किसानों को फसलों में लगने वाली बीमारियों और उनके इलाज के बारे में जानकारी मिलेगी। जमीन की रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज, सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत आने वाली सेवाओं में अक्सर सर्वर स्लो होने की समस्या आती है। ‘परम बुद्ध’ इन समस्याओं को भी चुटकियों में दूर कर देगा।

4 करोड़ 50 लाख बनाने में हुआ है खर्च 

इस सुपर कंप्यूटर को बनाने में 4 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत आई है। इसमें दूसरे सुपर कंप्यूटर से अलग ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) लगा है। आमतौर पर दूसरे सुपर कंप्यूटर में सीपीयू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) होता है। जीपीयू होने की वजह से यह एक साथ कई काम बिना किसी गलती के कर सकता है।

कब से काम करेगा यह कम्प्यूटर 

परम बुद्धा की अब तक कई क्षेत्रों में परीक्षण किया गया है और उनके परिणाम सकारात्मक और सटीक आये हैं. परम बुद्ध का सफलतापूर्वक उपयोग आईआईटी बीएचयू, थल सेना समेत अन्य कई महत्वपूर्ण स्थानों पर टेस्टिंग मोड में किया जा चुका है. 

सीडैक का दावा है कि परम बुद्धा ने अपनी सारी परीक्षा पास कर ली है और अब यह पूरी तरह से सेवा देने में सक्षम है. आईआईटी पटना में भी इसे लगाने की मांग आ रही है. जल्द ही इसे अधिकृत रूप से लॉन्च किया जाएगा.