2025 बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राजद ने बिहार के सियासी मैदान में अपना पासा फ़ेंक दिया है । राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कभी नीतीश के खास रहे जदयू छोड़कर राजद में गये मंगनीलाल मंडल कों राजद का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा । राजद कि इस चुनावी स्टंट से बिहार के सियासी बाज़ार में चर्चा तेज हो गयी है हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा 19 जून कों ज्ञान भवन में कि जाएगी। अतिपिछड़ा समुदाय से आने आले मंगनीलाल कों प्रदेश अध्यक्ष बनाने कि पीछे कि रणनीति समझिए …
कौन है मंगनीलाल मंडल ?
बेहद साधारण परिवार से आने वाले मंगनीलाल मंडल का जन्म फुलपरास प्रखंड के गोरगमा के एक मजदूर परिवार में साल 1949 में हुआ था। इनके पिता झोटीलाल मंडल एवं माता संझा देवी मजदूरी कर जीवन यापन करते थे। मंडल का राजनीतिक पहचान मृदुभाषी, विद्वान,कानून के जानकारी रखने वाले नेता के रूप में है।श्री मंडल का राजनीतिक सफर एआईएसएफ से शुरू हुआ, लेकिन 1967 में डॉ राममनोहर लोहिया एवं मधुलमय के विचार से प्रभावित होकर लोकदल में शामिल हो गए। वे वर्ष 1986 से 2004 तक लगातार 18 वर्षो तक बिहार विधान परिषद के सदस्य तथा बिहार सरकार में मंत्री भी रहे है। वर्ष 2004 से 2009 तक राजद से राज्यसभा एवं 2009 से 2014 तक जदयू लोकसभा के सदस्य रहे है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कि पार्टी जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे है मंगनीलाल
बता दें कि मंगनीलाल मंडल कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे है वे नीतीश कुमार कि पार्टी जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे है और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री भी रहे है।
मंगनीलाल मंडल की ताजपोशी के पीछे का सियासी मायने
अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले मंगनीलाल मंडल का राजद का कमान सौंपना संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि यह एक गहरी सामाजिक और राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। वे बिहार की 30-35% EBC (अतिपिछड़ा वर्ग ) आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंडल के जरिए लालू-तेजस्वी की जोड़ी EBC और दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश में है। लालू यादव का यह फैसला EBC वोटरों को साधने और उत्तर बिहार, खासकर मिथिलांचल क्षेत्र में आरजेडी की खोई जमीन वापस पाने की कोशिश है। मिथिलांचल में मंडल का प्रभाव और उनकी मृदुभाषी छवि पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
क्यों पड़ी जगदानंद सिंह के जगह नए प्रदेश मंगीनी लाल मंडल कि जरुरत ?
जगदानंद सिंह कि बात करें तो काफी लंबे समय से पार्टी की गतिविधियों से दूरी बनाए हुए थे। 2024 में लोकसभा चुनाव में जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष रहते राजद कि बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी। उनकी निष्क्रियता और तेजस्वी यादव के नेतृत्व से कुछ मतभेदों ने पार्टी में बदलाव की जरूरत को बढ़ाया। मंडल का चयन केवल जातीय समीकरण साधने के लिए है भी है।