रिपोर्ट- सुजीत पाण्डेय
बिहार बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा बीते रात कर दी गई है. इस घोषणा के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के कार्यकाल की चर्चा होने लगी है. कार्यकर्त्ता और आम लोग भी कह रहे हैं बीजेपी का ये प्रयोग सफल नहीं रहा. कुशवाहा वोट बैंक पर बीजेपी ने निशाना साधने के लिए सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन सम्राट बीते लोकसभा चुनाव में कोई करिश्मा नहीं कर पाये. लोकसभा चुनाव में कुर्मी कुशवाहा के नेता फिर से नीतीश कुमार साबित हो गए.
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष पद से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को हटाया गया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है की मोदी युग में पहली बार लोकसभा चुनाव में बुरा प्रदर्शन रहा. वहीं सम्राट चौधरी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए नाखुश और फूफा बने कार्यकर्ताओं को मैनेज नहीं कर सके. संजय पासवान, अश्विनी चौबे और हरि मांझी ने तो मुखर होकर विरोध किया. इससे पार्टी का अनुशासन टूटने लगा था. पार्टी कई गुटों में बंट गईं थी वहीं सम्राट चौधरी भी कुशवाहा समाज के नेता नहीं बन सके. मजबूरन केंद्रीय नेतृत्व ने 2025 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश अध्यक्ष को बदला है. बीजेपी ने कोर वोटर समाज के बीच के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उस समाज को बड़ा संदेश देने का काम किया है. पहले संजय जायसवाल अब दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
बता दें, 23 मार्च 2023 को सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा का नया बॉस बनाया गया था. आलाकमान ने उन्हें बिहार भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. तब सम्राट चौधरी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में थे. अब वे भाजपा विधान मंडल दल के नेता हैं. साथ ही उप मुख्यमंत्री हैं. संजय जायसवाल के बाद सम्राट चौधरी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी.