बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के द्वारा अयोगों के पूर्णगठन में एनडीए नेताओं के रिश्तेदारों को जगह दिए जाने के मुद्दे पर सरकार को कठघरे में किया था। तेजस्वी ने सरकार से जमाई आयोग के गठन की मांग कर दी। तेजस्वी यादव ने अब जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा पर भी निशाना साधा। इस सियासी चर्चा कि क्या है पूरी बात और सियासी रंग समझिए …
बिहार में के राजनीति में इस समय जमाई आयोग कि चर्चा तेज चल रही है। दरअसल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नीतीश सरकार पर बड़ा निशाना साधा. तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के नेताओं के परिवार के सदस्यों को सरकार ने आयोगों में एडजस्ट किया गया है. उन्होंने सरकार को यहां तक सलाह दे डाली कि बिहार में ‘जमाई आयोग’ का गठन कर देना चाहिए.
तेजस्वी ने क्यों कहा जमाई आयोग गठन करने कों
बता दें कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘जमाई आयोग’ बनाने की सलाह इसलिए दी, क्योंकि बिहार सरकार की तरफ से अलग-अलग आयोगों में सत्ता पक्ष के कई नेताओं के दामादों को नियुक्त किया गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि रामविलास पासवान के दामाद मृणाल पासवान, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के दामाद सायन कुणाल को सरकार ने विभिन्न आयोगों और बोर्डों में जगह दी है.
तेजस्वी यादव ने जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा पर भी निशाना साधा
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जमाई आयोग गठन करने के मांग के बाद अब जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की दो बेटियों, अद्या झा और सत्या झा, को सुप्रीम कोर्ट में ग्रुप-ए पैनल काउंसल के रूप में नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाए हैं. तेजस्वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी बात रखते हुए कहा कि संजय झा की दोनों बेटियों को बिना किसी विशेष कार्य अनुभव के सुप्रीम कोर्ट में ग्रुप-ए पैनल काउंसल बनाया गया है. उन्होंने सवाल उठाया, “जदयू के कितने दलित, पिछड़े और अति-पिछड़े नेताओं, सांसदों, मंत्रियों या कार्यकर्ताओं के बेटे-बेटियों को यह विशेषाधिकार प्राप्त है कि वे बिना अनुभव के ऐसी उपलब्धि हासिल कर लें?”
उन्होंने संजय झा से पूछा, “यह कैसे हुआ? किस बात की डीलिंग हुई?” तेजस्वी का कहना है कि इस तरह की नियुक्तियां मेरिट और पारदर्शिता की अनदेखी करती हैं, जिससे समाज के वंचित वर्गों का हक छिनता है.
नीतीश के मंत्री अशोक चौधरी ने किया तेजस्वी पर पलटवार
बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के द्वारा जमाई आयोग के मांग कों लेकर जवाब देते हुए कहा कि तेजस्वी यादव को अपने पिता का कार्यकाल देखना चाहिए और पूछना चाहिए कि उस दौरान ‘मामा आयोग’ क्यों नहीं बनाया गया था? आगे कहा कि तेजस्वी यादव परिवारवाद पर कैसे बोल सकते हैं। उनके माता-पिता मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे स्वयं विपक्ष के नेता हैं। उनके भाई तेज प्रताप विधायक हैं। उनकी एक बहन डा. मीसा भारती लोकसभा की सांसद हैं। दूसरी बहन डा. रोहिणी आचार्य को लोकसभा में उम्मीदवार बनाया गया था। वह चुनाव हार गईं। तेजस्वी यादव के दो मामा लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं।
आरएसएस को कोटा से धार्मिक बोर्ड के सदस्य बने है कुणाल
अशोक चौधरी ने अपने दामाद सायन कुणाल कों धार्मिक बोर्ड के सदस्य बनने कों लेकर साफ किया कि सायन कुणाल जेडीयू कोटा से नहीं आए हैं, सायन कुणाल आरएसएस को कोटा से आए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सायन को मेरे दामाद की हैसियत से नहीं बनाया है, संघ के कोटा से किशोर कुणाल के बेटा के तौर पर आए हैं। बिहार धार्मिक ट्रस्ट बोर्ड से 4800 मंदिर और मठ रजिस्टर्ड हैं और बोर्ड इनकी संपत्ति की देखरेख और संचालन करता है।
सियासी नजर से देखें तो बिहार के राजनीति में इस समय नेताओं के रिश्तेदारों को पद मिलने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। आरजेडी और जेडीयू के बीच इस मुद्दे पर टकराव देखने को मिल रहा है। देखना यह है कि इस विवाद का चुनाव पर क्या असर पड़ता है।